
कच्छी पघडी
कच्छ की पघडी वहा के राज परिवार द्वारा अच्छे या बुरे प्रसंगो में अलग अलग रंगो से पहनी जाती है. इस पघडी की विशेषता यह है की यह पघडी बाई ओर से गोलाकार लेते हुए उपर तक 3 आंटी लगाई जाती है.

काठियावाड़ी पघडी
काठियावाड़ की आंटीयाळी पघडी जो की आगे से थोडी झुकी हुई होती है, पहनने वाले व्यक्ति को एक अनोखी पहचान देती है. यह पघडी काठियावाड़ के गांवो में पहनी जाती है.

गोहिलवाड की पघडी
गोहिलवाड की अपने अंदाज में कुछ अलग है. इस पघडी को युवा वर्ग नीले या मरुन / कॉफी रंग से और बुझुर्ग लोग सफेद रंग से बनी हुई पहेनते थी. इस पघडी के बीच में उसके ही भाग से एक डिझाईन बनाई जाती है. इस पघडी को बनाना बहूत ही महेनत का काम है. हाल के समय में इस पघडी को बांधने वाले बहुत कम लोग है.

झालावाडी पघडी
झालावाडी पघडी अपने नाम से ही झाला राजपूतो की पहचान है. इस पघडी के दो प्रकार मखवान पघडी और झालावाडी पघडी है. झालावाडी पघडी एक तरफ झुकी हुई पहनी जाती है जबकी मखवान पघडी को बिचमे से पहना जाता है.

बाराड़ी पाघ
बाराड़ी पाघ बाराडी प्रदेश, जो की जामनगर, गुजरात में है, के लोग पहनते है. यह पाघ की विशेषता यह है की इसमे एक के उपर एक पट्टी बनाई जाती है जो की बनाने में बहूत ही मुश्कील काम है. इस पाघ को बांधने वाले बहूत कम लोग है.

भरवाड और रबारी की पघडी
भरवाड और रबारी समाज के लोग भी पघडी पहेनती थे जिसमे भरतकाम किया हुआ एक लाल रंगका कपडा बिचमें रखा जाता है. खास करके पांच पंथक के रबारी लोग पघडी के एक तरफ भरतकाम किया हुआ एक पट्ट बिचमे रखके उसे अलग से दिखाते थे.

भाल की पघडी
एक समय में लोगो की पहचान ही पघडी से होती थी. भाल की पघडी कुछ अलग ही थी, इस पघडी को अलग अलग रंगो के कपडे से बनाकर पहना जाता है.

मोरबी की चक्री पघडी
मोरबी और उनके भायात गांव जो पघडी पहनते थे उसे मोरबी की चक्री पघडी के नाम से पहचाना जाता है. जो की इंढोनी के आकार सी होती है.

राजस्थानी पघडी
राजस्थान मे राजपूताना संस्कृति को बहूत अच्छी तरह से पघडी के द्वारा संभाला गया है. राजस्थान में 14 कि.मी. के अंतर पर अलग अलग पघडी बांधी जाती है.

हालारी पाघ
हालारी पघडी कला का एक उत्तम नमूना है. हालारी पाघ और पघडी जामनगर (गुजरात) के गिरासदार पहनते है. पाघ में कापड से बना एक पट्ट होता है और पघडी में वड चडाया जाता है. इस पघडी और पाघ से हालारी लोग तुरंत पहचाने जा